
डीडीयूजीयू की वित्त समिति की बैठक कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में हुई सम्पन्न
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की वित्त समिति की बैठक कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस बैठक में आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रारंभ हो रहे नए ऑनलाइन तथा रेगुलर पाठ्यक्रमों की फीस संरचना को स्वीकृति प्रदान की गई।नई शिक्षा नीति-2020 के तहत छात्रों को अधिक विकल्प देने और Gross Enrollment Ratio को बढ़ाने की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा पाँच ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं, जिनमें बी.कॉम (ऑनर्स – 4 वर्षीय), बीबीए, एमबीए, एमकॉम और एमए (अंग्रेज़ी) शामिल हैं।
ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की फीस संरचना:
बी.कॉम (ऑनर्स): ₹5500 प्रति सेमेस्टर, परीक्षा शुल्क ₹1500
बीबीए: ₹8000 प्रति सेमेस्टर, परीक्षा शुल्क ₹1500
एमबीए: ₹11,500 प्रति सेमेस्टर, परीक्षा शुल्क ₹1500
एमकॉम: ₹6500 प्रति सेमेस्टर, परीक्षा शुल्क ₹1500
एमए (अंग्रेज़ी): ₹6000 प्रति सेमेस्टर, परीक्षा शुल्क ₹1500

इन पाठ्यक्रमों का संचालन विश्वविद्यालय के Centre for Distance and Online Education के मार्गदर्शन में किया जाएगा। छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए, यह फीस संरचना प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में किफायती रखी गई है।
नए रेगुलर पाठ्यक्रमों की फीस की स्वीकृति
बैठक में पहली बार विश्वविद्यालय में पाँच वर्षीय शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम (बीए-बीएड, बीएससी-बीएड और बीकॉम-बीएड) शुरू करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। साथ ही इंजीनियरिंग एवं वाणिज्य संकाय में कुल पाँच नए पाठ्यक्रम शुरू होंगे। इन सभी पाठ्यक्रमों की फीस ₹25,000 प्रति सेमेस्टर निर्धारित की गई है, जिसमें प्रायोगिक विषयों के लिए ₹5000 प्रतिवर्ष अतिरिक्त देय होगा।इसके अतिरिक्त, मास्टर ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम भी आगामी सत्र से वाणिज्य संकाय द्वारा शुरू किया जाएगा, जिसकी फीस को भी बैठक में अनुमोदन प्राप्त हुआ। विज्ञान संकाय द्वारा स्ववित्तपोषित मोड में बीएससी (जूलॉजी, बॉटनी और मनोविज्ञान) पाठ्यक्रमों की शुरुआत भी की जा रही है।
“गोरखपुर विश्वविद्यालय गुणवत्तापरक, सुलभ और समावेशी शिक्षा की दिशा में लगातार अग्रसर है। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की शुरुआत डिजिटल युग की मांग है और यह हमें अधिक से अधिक छात्रों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा। वित्त समिति द्वारा स्वीकृत फीस संरचना को छात्रों के हित में संतुलित और व्यावहारिक रखा गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके।” -कुलपति प्रो० पूनम टंडन