
दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को बांटा गया एमसीआर चप्पल
गोरखपुर। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ), जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) और जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ गणेश यादव शनिवार को प्रशासनिक दायित्व से सेवानिवृत्त हो गये। इससे पहले उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंच एड्स नियंत्रण कार्यक्रम और कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम को मजबूत करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई की। उन्होंने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर भी चर्चा की और दिव्यांग कुष्ठ रोगियों से मिल कर उन्हें विशेष एमसीआर चप्पल वितरित किया। कार्यकाल के आखिरी दिन डॉ गणेश यादव ने अपील की कि कुष्ठ, टीबी और एचआईवी का लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं।
डॉ यादव ने कहा कि इन तीनों बीमारियों की गुणवत्तापूर्ण जांच और इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं। दवाएं भी निःशुल्क मिलती हैं। इन बीमारियों की पहचान और इलाज में देरी से जटिलताएं बढ़ जाती हैं। इसलिए बेहतर है कि समय से जांच और इलाज हो। उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कुष्ठ रोग विभाग, स्त्री रोग विभाग, एआरटी सेंटर, एसटीडीसी और एसटीआई सेंटर का भ्रमण किया। इस अवसर पर उनके साथ मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग से चिकित्सक डॉ दिव्यांश श्रीवास्तव, जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, एमडी सिंह, राजेश सिंह, एमपी चौहान, आसिफ खां और कॉलेज के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने बताया कि छब्बीस मई को डीएलओ ने राजेंद्र नगर कुष्ठ आश्रम का भ्रमण कर वहां के दिव्यांग रोगियों को एमसीआर चप्पल बांटा था। वहां पर कुष्ठ एवं मानसिक रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। एनएमएस पवन कुमार, रवि श्रीवास्तव और गुड़िया देवी की मदद से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसी क्रम में सत्ताईस मई को बेतियाहाता के चंद्रलोक कुष्ठाश्रम पहुंच कर डीएलओ डॉ यादव ने दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पल दिया था। वहां निवास करने वाले रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया।
दिव्यांगता से बचाव है लक्ष्य
(डीएलओ) डॉ गणेश यादव ने कहा कि अगर समय से कुष्ठ की पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो इसके संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। साथ ही मरीज के दिव्यांग होने का खतरा भी नहीं रहता है । इसके विपरीत गैर उपचाराधीन कुष्ठ रोगी खुद के लिए और समाज के लिए जटिलताएं बढ़ा सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि कुष्ठ के लक्षण वाले लोगों को शीघ्र जांच और इलाज के लिए प्रेरित करें। कुष्ठ की समय से पहचान और इलाज के पीछे दिव्यांगता से बचाव प्रमुख लक्ष्य है।