
चरक संहिता आज भी प्रासंगिक और पथ प्रदर्शक : डॉ गिरिधर वेदांत
कारगिल विजय दिवस पर सैनिकों को किया गया नमन
गोरखपुर। शनिवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय अन्तर्गत गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज आयुर्वेद कालेज में चरक जयन्ती के अवसर पर चरक संहिता का वैश्विक चिकित्सा में योगदान विषय पर रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, और नाट्य मंचन का आयोजन किया गया। सभी विद्यार्थियों ने चरक संहिता का परायण भी किया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य गिरधर वेदांतम ने कहा कि महर्षि चरक केवल एक वैद्य ही नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपरा के स्तंभ थे। महर्षि का दृष्टिकोण केवल रोग निवारण तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने स्वस्थ जीवनशैली, आहार-विहार, दिनचर्या, मानसिक संतुलन और सतत आत्मनियंत्रण पर बल दिया। सभी पुरुषार्थों की प्राप्ति के लिए आरोग्य सबसे आवश्यक है।

कौमारभृत्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ त्रिविक्रम मानी त्रिपाठी जी ने अपने संबोधन में सभी को संबोधित करते हुए कहा की हमे आज के समय में चरक संहिता को आत्मसात करने की आवश्यकता है। आज जब विश्व फिर से आयुर्वेद चिकित्सा और जीवनशैली की ओर लौट रहा है, चरक जी का संदेश और योगदान और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। आइए इस चरक जयंती पर हम सभी स्वास्थ्य के प्रति सजग, और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति गर्वित बनें। आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डॉ गिरिधर वेदांत , डॉ गोपीकृष्ण,डॉ सुमित, डॉ शांति भूषण ने विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। रंगोली प्रतियोगिता में निर्णायक मण्डल की भूमिका में डॉ रश्मि, डॉ मिनी, डॉ संध्या ने निभाई। कारगिल विजय दिवस पर संक्षिप्त कारगिल युद्ध का प्रदर्शन करते हुए।सभी सैनिकों को नमन किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन संहिता सिद्धांत एवं संस्कृत समिति द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन व संयोजन आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय और डॉ शांति भूषण ने किया कार्यक्रम में डॉ गोपीकृष्ण आचार्य, डॉ त्रिविक्रम मणि त्रिपाठी,डॉ नवीन, डॉ देवी, डॉ प्रिया, डॉ बी डी भारती, डॉ दीपू मनोहर सहित सभी बीएएमएस विद्यार्थी और प्राध्यापक उपस्थित रहे।