बच्चे को उल्टी दस्त आए तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाएं, देते रहें ओआरएस का घोल

गोरखपुर। जिले में बदलते मौसम में नवजात और बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति खास तौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए सभी आशा, एएनएम, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और सरकारी अस्पतालों पर ओआरएस और जिंक के पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं। ऐसे में बच्चों को उल्टी दस्त की दिक्कत हो तो तुरंत नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाएं और उपलब्ध सुविधा का लाभ लें । स्वास्थ्य केंद्र से मिली दवा के साथ साथ बच्चे को ओआरएस का घोल और जिंक की टेबलेट भी अवश्य देते रहें । उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ राजेश झा ने कही।

उन्होंने बताया कि जिले में इकतीस जुलाई तक डायरिया रोको अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करेंगे। साथ ही लक्षित लाभार्थी वाले परिवारों में ओआरएस के पैकेट और जिंक की गोलियां देंगे और उनके इस्तेमाल का तरीका भी बताएंगे। ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट दस्त से बच्चों के जीवन की रक्षा करते हैं ।

सीएमओ डॉ झा ने बताया कि उल्टी दस्त (डायरिया) की स्थिति में बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर सरकारी अस्पताल आने के लिए दो साल तक के बच्चों को 102 नंबर एम्बुलेंस और इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए 108 नंबर एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए । इस साल डायरिया रोको अभियान की थीम ‘‘डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान’’ रखी गई है। अभियान के दूसरे चरण का जिला स्तरीय उद्घाटन सोमवार को जिला महिला अस्पताल से अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने किया। इस अवसर पर पूर्व एसआईसी डॉ जय कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजय देवकुलियार, डिप्टी सीएमओ डॉ राजेश, डीपीएम पंकज आनंद और मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्य प्रकाश ने दस्त से बचाव और डायरिया रोको अभियान के बारे में जानकारी दी।

जिला महिला अस्पताल के पूर्व प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जय कुमार ने बताया कि अभिभावकों को भी यह ध्यान रखना है कि बच्चे को दस्त आते ही और हर दस्त के बाद ओआरएस का घोल अवश्य दें । इसके साथ ही जिंक की गोली एक चम्मच पीने के पानी अथवा मां के दूध में घोल कर लगातार 14 दिनों तक देना है। दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी मां का दूध और पूरक आहार देना जारी रखना है । ओआरएस के एक पैकेट को एक लीटर पीने के पानी में घोल बनाकर रखना है जो समय-समय पर बच्चे की आयु के हिसाब से निर्धारित मात्रा में देना है।

एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी ने बताया कि जिंक टैबलेट देने से दस्त की अवधि और तीव्रता कम होती है । यह तीन महीने तक दस्त से सुरक्षित रखता है और लंबे समय तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बना कर रखता है। उचित परामर्श के अनुसार जिंक की गोली मां के दूध या पानी के साथ बच्चे को देनी होती है। बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना है और इसके बाद दो वर्ष की आयु तक स्तनपान के साथ साथ पूरक आहार भी देते रहना है।

जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजय देवकुलियार ने बताया कि दो माह से कम आयु के बच्चे को हर दस्त के बाद पांच चम्मच ओआरएस का घोल देना है । दो माह से चार वर्ष तक के बच्चे को एक चौथाई कप या आधा कप ओआरएस का घोल प्रत्येक दस्त के बाद दें। दो वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को आधा कप या एक कप ओआरएस का घोल प्रत्येक दस्त के बाद दें। यह घोल दस्त शुरू होने के बाद तब तक देना है जब तक कि बच्चे का दस्त बंद न हो जाए। दस्त के दौरान बच्चे के मल का सुरक्षित निपटान करना है और समय-समय पर अभिभावक अपने हाथों को साबुन पानी से धुलते रहेंगे।

यह हैं अभियान के लक्षित लाभार्थी

• ऐसे परिवार जिनमें पांच साल से कम उम्र के बच्चे हों

• दस्त ग्रसित पांच साल से कम उम्र के बच्चे

• कम वजन वाले बच्चों को प्राथमिकता देना

• अति संवेदनशील एरिया जैसे स्लम, ईंट भट्टे आदि पर रहने वाले परिवारों के बच्चे

• सफाई की कमी वाली जगहें

• जिन स्थानों पर पहले डायरिया आऊटब्रेक हुआ हो वहां के बच्चे

• डायरिया के अधिक मामले वाले स्थानों के बच्चे

Vikas Gupta

Managing Editor

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