
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलाधिपति माननीय आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा एवं कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में चल रहे सप्तदिवसीय ग्रीष्मकालीन योग कार्यशाला के चौथे दिन आनलाईन व्याख्यान का आयोजन किया गया। सुबह 8 बजे योग प्रशिक्षण के दूसरे दिन भी प्रतिभागियों की काफी संख्या रही। योग प्रशिक्षण डा. विनय कुमार मल्ल के द्वारा दिया गया। विभिन्न आसन, सर्वांगसन, चक्रासन, ध्यान सहित योग प्रशिक्षण में लगभग 30 लोगों ने भाग लिया। इसमें स्नातक, परास्नातक, शोध छात्र आदि विद्यार्थी एवं अन्य लोग सम्मिलित हुए। अपरान्ह 3 बजे आनलाइन माध्यम से हठ प्रदीपिका में योग विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत के साथ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र जी के द्वारा हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ उमाशंकर कौशिक, सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय, मुम्बई रहे। डॉ. उमाशंकर ने अपने व्याख्यान मे हठ प्रदीपिका का अर्थ बताते हुए कहा कि हठ प्रदीपिका का अर्थ नाड़ियों में प्राण प्रवाह है। हठ प्रदीपिका की 150 पांडुलिपियाँ प्राप्त हुई है। हठ प्रदीपिका सामान्यतः हठयोग प्रदीपिका कहलाता है। परंतु पांडुलिपियों में इसका नाम हठ प्रदीपिका प्राप्त होता है। हठ प्रदीपिका के अनुसार मत्स्येन्द्र नाथ एवं गोरख नाथ का समय एक नहीं रहा है। मत्स्येन्द्र नाथ का समय 5-6 वीं शताब्दी है जबकि गोरखनाथ का समय 10-11 वीं शताब्दी है। उन्होंने हठ प्रदीपिका में योग के स्वरुप पर विस्तृत रूप से चर्चा किया।
उन्होंने कह कि हठ प्रदीपिका में आसन, प्राणायाम, बंध, मुद्रा, नाद, षट्कर्म आदि का उपदेश दिया गया है। त्रिदोषों के शमन एवं शोधन के लिए षट्कर्म का विवरण दिया गया है। उन्होंने बताया कि योग के वर्तमान स्वरुप का विकास नाथ योगियों ने किया है। इस आनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। शोधपीठ के वरिष्ठ शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह द्वारा मुख्य वक्ता एवं समस्त श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, चिन्मयानन्द मल्ल आदि उपस्थित रहे। विद्यार्थियों ने प्रश्न भी पूछा जिसका वक्ता ने उत्तर दिया