शीघ्र पहचान से ठीक हो जाता है स्तन कैंसर, जीवनचर्या बदलकर कर सकते हैं बचाव

गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा की पहल पर शुरू किये गये स्वास्थ्य विभाग के नवाचार ई आरोग्य पाठशाला के तहत स्तन कैंसर के बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) का मंगलवार को क्षमता संवर्धन किया गया। बतौर मुख्य वक्ता वर्चुअल माध्यम से कैंसर विशेषज्ञ, एम्स नई दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल डिसिप्लीन के पूर्व विभागाध्यक्ष और गोरखनाथ विश्वविद्यालय के श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रधानाचार्य डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने व्याख्यान दिया। उन्होंने स्तन कैंसर के कारकों, पहचान, उपचार और प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि अगर स्तन कैंसर की शीघ्र पहचान हो जाए तो यह बिना किसी जटिल सर्जरी के भी ठीक हो जाता है। अपने जीवनचर्या में बदलाव कर महिलाएं स्तन कैंसर से बच सकती हैं।

कैंसर विशेषज्ञ डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने सीएचओ को बताया कि स्तन कैंसर के मामलों में समय से पहचान न हो पाने के कारण पचास प्रतिशत मामलों में जटिलताएं बढ़ जाती हैं जो मृत्यु का भी कारक बनती हैं। एबीसीडी के नियम और डॉयल ऑफ अ क्लाक मेथड से बिना किसी मशीन की सहायता से भी स्तन कैंसर की पहचान की जा सकती है। क्लिनिकल मेथड के जरिये महिलाएं खुद या हेल्थ प्रोवाइडर्स की मदद से स्तन कैंसर की पहचान कर सकती हैं। ए का आशय दोनों स्तनों के आकार में अंतर, बी का आशय स्तन के निप्पल से खून आने, सी का आशय स्तन के निप्पल और एरिओला का रंग बदलने और डी का आशय स्तन से स्राव होने, उसमें गड्ढे होने या किसी भी प्रकार की विकृति होने से है। इनमें से कोई भी लक्षण या स्तन पर गांठ दिखाई दे तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सम्पर्क किया जाना चाहिए। समय से अस्पताल पहुंचने से यह कैंसर ठीक हो जाता है। डॉ श्रीवास्तव ने एक महिला मरीज को भी वर्चुअल माध्यम से ही सभी सीएचओ से मिलवाया। महिला ने बताया कि उन्होंने समय से चिकित्सक को दिखाया और बिना किसी जटिल सर्जरी के उनका स्तन कैंसर ठीक हो गया। एक वीडियो के माध्यम से दिखाया गया कि किस प्रकार तीन अंगुलियों की मदद से स्तन को अलग अलग तरीके से स्पर्श कर डॉयल ऑफ अ क्लाक मेथड से कैंसर की पहचान की जा सकती है। यह भी बताया गया कि तीस से लेकर पैंसठ वर्ष की अवस्था के दौरान प्रत्येक महिला को स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग खुद करनी चाहिए या फिर हेल्थ केयर प्रोवाइडर की मदद से करवानी चाहिए।

स्तन कैंसर के कारणों पर चर्चा करते हुए डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि इसके पीछे कई जोखिम वाले कारक हैं। महिला द्वारा शराब, तंबाकू या सिगरेट का सेवन, फास्ट फुड का अत्यधिक सेवन, श्रम न करने, अत्यधिक देर तक प्रकाश में कार्य करने, अनुवांशिक कारणों, संक्रमण, अत्यधिक तनाव, रेड मीट के सेवन, तीस वर्ष की उम्र तक बच्चा पैदा न करने, बच्चे को स्तनपान न करवाने, कम आयु में मासिक धर्म आने और पचपन वर्ष के बाद भी मासिक धर्म आने और अनावश्यक के रेडिएशन से स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है। ब्रोकली, रंगीन फल और सब्जियों के सेवन, नियमित व्यायाम, श्रमसाध्य कार्य करने और वसामुक्त खानपान का त्याग कर इससे बचा जा सकता है। इस मौके पर सीएचओ द्वारा दो केस स्टडी भी प्रस्तुत की गई, जिसका उत्तर विषय विशेषज्ञ डॉ श्रीवास्तव ने दिया।

एचआरपी पर होगी चर्चा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने बताया कि ई आरोग्य पाठशाला का आयोजन ईको इंडिया के सहयोग से किया जा रहा है। यह प्रत्येक मंगलवार को दोपहर दो बजे से तीन बजे तक चलती है। इसका उद्देश्य सीएचओ और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मियों का विषय विशेषज्ञों के जरिये क्षमता संवर्धन है। इसमें अगले मंगलवार को उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) को लेकर चर्चा की जाएगी।

Vikas Gupta

Managing Editor

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