भारत की प्रगति के प्रतीक ‘USBRL के स्टेशन’

गोरखपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लिखी जा रही देश की विकास गाथा में रेलवे स्टेशन विकास के नए आर्थिक पुंज बनकर उभरे हैं। उनका विकास सुगम आवागमन के साथ अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देना भी है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना पर बने प्रमुख स्टेशन— रियासी, कटड़ा, बनिहाल, काजीगुंड, संगलदान और बड़गाम— कश्मीर की अर्थव्यवस्था के प्रमुख केंद्र बन गए हैं। 

रियासीः बाजार तक पहुंच

रियासी स्टेशन जम्मू और कश्मीर के हरे-भरे पहाड़ों के बीच बसा है। चिनाब नदी, घने जंगल और ऊँचे पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता दिल को छू लेने वाली है। यह स्टेशन कटड़ा और बक्कल स्टेशन के बीच बना है और इसका डिज़ाइन कमाल का है। पहाड़ों को काटकर बनाया गया यहाँ का मल्टी-लेवल ढांचा बेमिसाल इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है। इस स्टेशन पर यात्रियों के लिए पार्किंग और प्लेटफॉर्म के साथ मॉडर्न सुविधाएं मौजूद हैं। रियासी स्टेशन से स्थानीय लोगों को बड़े बाजारों तक पहुँचना आसान हो जाएगा, यहाँ के हस्तशिल्प और खेती के सामान देश भर में जा सकेंगे, जिससे व्यापार बढ़ेगा और नौकरियाँ पैदा होंगी। 

कटड़ा: वैष्णो देवी का प्रवेश द्वार

कटड़ा स्टेशन श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव है। इस स्टेशन पर चार लाइनें और तीन बड़े प्लेटफॉर्म हैं जिनमें लिफ्ट, फुटओवर ब्रिज और सोलर एनर्जी जैसी सुविधाएँ हैं, जो यात्रियों की सहूलियत का ख्याल रखती हैं। नई वंदे भारत के संचालन से उत्तरी कश्मीर से कटड़ा आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ेगी। व्यापार तेजी से बढ़ेगा और रोजगार के नए मौके बनेंगे। माता रानी के दर्शन के बाद श्रद्धालु पहाड़ों की ठंडी हवा और दिव्य शांति का अनुभव ले सकते हैं। यह स्टेशन धार्मिक और प्राकृतिक खूबसूरती का शानदार मेल है।

बनिहाल: वेलकम टू कश्मीर 

बनिहाल स्टेशन, जम्मू को कश्मीर से जोड़ता है। पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के साए में बने इस स्टेशन को बर्फीले पहाड़, घाटियाँ और जवाहर टनल जबरदस्त लुक देते हैं। यह स्टेशन पर्यटन और व्यापार के लिए गेम-चेंजर है। ऑल वेदर नेटवर्क के साथ स्थानीय लोगों को सेब, चावल और हस्तशिल्प जैसे अपने उत्पादों को बड़े शहरों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। इससे उनकी कमाई के साथ रोजगार के मौके बढ़ेंगे। बनिहाल स्टेशन पर उतरने वाले यात्री बर्फीली चोटियों और वादियों के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे।

काजीगुंड: दक्षिणी कश्मीर का सेतु

काजीगुंड स्टेशन को “कश्मीर घाटी का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। यहाँ हरे मैदान, सेब के बगीचे और पुराने मंदिर इसे एक मिथकीय लुक देते हैं। यह स्टेशन दक्षिणी कश्मीर को बाकी इलाकों से जोड़ता है। अबाध रेल सेवा के बाद काजीगुंड से सेब और चावल जैसे उत्पाद देश के अन्य बाजारों तक पहुँच सकेंगे। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और व्यापार बढ़ेगा। काजीगुंड उतरने वाले पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति को करीब से देख सकेंगे। 

संगलदान: पहाड़ों में नया पड़ाव

ऊंचे पहाड़ों के बीच बना संगलदान स्टेशन कटड़ा-बनिहाल सेक्शन का हिस्सा है। 50 मीटर से ज्यादा ऊँची चट्टानें और घने जंगल इसे एक अलग पहचान देते हैं। चार लाइनें, तीन बड़े प्लेटफॉर्म और लिफ्ट जैसी सुविधाओं के साथ यहाँ का स्टील फुट ओवर ब्रिज यात्रियों के लिए खास है। संगलदान रेल स्टेशन ग्रामीणों इलाकों को रेल नेटवर्क से जोड़ता है। इससे स्थानीय व्यापारियों को अपना उत्पाद बाजार तक पहुंचाने का मौका मिलता है। संगलदान स्टेशन पर उतरने वाले यात्री पहाड़ों की गोद में खिले प्राकृतिक सौंदर्य और नज़ारों का लुत्फ उठा सकेंगे। 

बड़गामः सेंट्रल कश्मीर की हार्टबीट

बड़गाम रेलवे स्टेशन सेंट्रल कश्मीर का अहम पड़ाव है। यह जिला मुख्यालय और श्रीनगर हवाई अड्डे के करीब हैं। इसकी लोकेशन पूरे इलाके में परिवहन के संचालन को आसान बनाती है। बड़गाम स्टेशन पर ट्रेनों का रखरखाव भी होता है जो यात्रा के तेज संचालन में मदद करता है। यह स्टेशन सेंट्रल कश्मीर के गांवों को बड़े व्यापारिक नेटवर्क से कनेक्ट करता है। इससे स्थानीय व्यापार और लोगों की आवाजाही को बढ़ावा मिलता है। बड़गाम अपनी खूबसूरती और पुरानी कश्मीरी इमारतों के लिए मशहूर है। यहां कि संस्कृति स्थानीय हस्तशिल्प और वास्तुकला में भी दिखती है।

रियासी, कटड़ा, बनिहाल, काजीगुंड, संगलदान और बड़गाम सहित दो दर्जन से ज्यादा रेलवे स्टेशन यूएसबीआरएल के मजबूत स्तंभ हैं। इसके स्टेशन सिर्फ सुगम आवागमन के लिए नहीं बने हैं बल्कि बेहतर भविष्य की आधारभूत संचरना हैं। जहां खूबसूरती और समृद्धि हर कदम साथ चलती हैं।

Vikas Gupta

Managing Editor

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