
अवसाद और तनाव आधुनिक जीवन में किसी विपदा से कम नहीं है। भागदौड़ भरी जिंदगी में लगभग हर पांचवां व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अवसाद का शिकार होता जा रहा है। इससे बचने के लिए योगमय और प्राकृतिक जीवन की तरफ लौटना होगा। आज के परिवेश में ज्यादातर लोग तनाव से ग्रसित है खासकर युवा पीढ़ी। बहुत से लोग तो तनाव कम करने के लिए दवाओं का भी सहारा लेने लगे हैं। यही तनाव उच्च रक्तचाप,अनिद्रा, मधुमेह, सरदर्द, माइग्रेन, ब्रेन हेमरेज, लकवा तक का रूप ले लेता है। इसी क्रम में इसी। तनाव के कारण मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही तनाव मनुष्यों में क्रोध उत्पन्न। करता है जिससे वे सही फैसले नही ले पाते। इस तनाव के कई कारण हो सकते है परंतु निदान एक। तनाव” का अर्थ है दबाव, मानसिक या भावनात्मक बोझ, या किसी चुनौती या मांग का सामना करने की स्थिति। यह एक ऐसी स्थिति है जब कोई व्यक्ति अभिभूत, चिंतित, या दबाव में महसूस करता है।संक्षेप में, तनाव एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब किसी व्यक्ति पर बहुत अधिक दबाव डाला जाता है, और वह उस दबाव को संभालने में असमर्थ महसूस करता है।यह तनाव मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक या अन्य कोई भी हो सकता है। योग सप्ताह के अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सक व योग प्रशिक्षक डा० अशोक कुमार चन्द्रा ने बताया कि सिर्फ 15-20 मिनट के प्राणायाम अभ्यास से इस तनाव को दूर किया जा सकता है। उस प्राणायाम का नाम है “भ्रामरी प्राणायाम” , जिसे “मधुमक्खी श्वास” भी कहा जाता है, एक योगिक श्वास तकनीक है जिसमें सांस छोड़ते समय मधुमक्खी जैसी भिनभिनाहट की आवाज निकाली जाती है। यह प्राणायाम मन को शांत करने, तनाव और चिंता को कम करने, और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है।
भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका
किसी शांत और हवादार जगह पर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं, कमर और गर्दन सीधी रखें, और आंखें बंद कर लें। तर्जनी उंगलियों से कानों को बंद करें, और बाकी उंगलियों को आंखों पर रखें।नाक से धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें, सांस छोड़ते समय “ऊं” या “हम” की ध्वनि निकालें, जैसे मधुमक्खी भिनभिनाती है। ध्वनि भंवरे जैसी होनी चाहिए, जो धीरे-धीरे और लयबद्ध हो।इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं, या अपनी क्षमतानुसार।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ:
भ्रामरी प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह प्राणायाम एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है। पढ़ने वाले बच्चों के लिए ये काफी लाभकारी सिद्ध होता है। भ्रामरी प्राणायाम अनिद्रा को दूर करने और बेहतर नींद को बढ़ावा देने में मदद करता है।यह प्राणायाम रक्तचाप को कम करने और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।भ्रामरी प्राणायाम क्रोध और चिड़चिड़ापन को शांत करने में मदद करता है।यह पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
डा० चन्द्रा ने बताया कि अनिद्रा के लिए सुबह और सोने से पहले आरामदायक स्थिति में बैठकर अपनी दायीं नाक के छिद्र को उंगली से दबाकर बंद कर ले और सिर्फ बायीं नाक से सांस ले और छोड़े। कम से कम 10 मिनट तक यह प्रक्रिया करें।
