
गोरखपुर । भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश पाण्डेय के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को सनातनी लोग व्रत रखते हैं। जो इस बार कल 6 जून दिन शुक्रवार को सभी गृहस्थ व्रत रखेंगे। एकादशी व्रत सूर्योदय व्यापिनी रहना चाहिए। इस बार कल 6 जून को प्रातः काल में एकादशी तिथि मिल रहा है। हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, वणिज करण, अमृत योगा का शुभ संयोग शुभकारी है।
एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त प्रातः काल उठकर नित्य नैमित्तक क्रिया करने के पश्चात स्नान करें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु को षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करें। पूजन में भगवान विष्णु को तुलसी जी की माला अवश्य पहनावें तथा निराहार व्रत रहें। इस निर्जला एकादशी व्रत में पानी भी नहीं पीना चाहिए,दान के लिए घड़ा में जल भरकर, मिठाई, फल वस्त्र, स्वर्ण आभूषण पंखा इत्यादि अपने व्यवस्था के अनुसार दान करें। रात्रि जागरण करें, एकादशी व्रत की कथा सुनें और दूसरे को भी सुनावें। जो भक्त गण बारहों महीने की एकादशी नहीं रह पाते हैं तो केवल इस निर्जला एकादशी व्रत करने मात्र से ही बारहों महीने की एकादशी व्रत का पुण्य मिल जाता है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि भीम जी अनजाने में इस दिन उपवास कर लिए थे तो भी भगवान विष्णु जी प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिये थे। मान्यता है कि इस दिन काशी की प्रसिद्ध कलश यात्रा दशाश्वमेध घाट से निकलकर काशी विश्वेश्वर भोले बाबा के दरबार तक जाती है और कलश में संचित देश भर की पवित्र नदियों के जल से बाबा का अभिषेक किया जाता है।
इस दिन शर्करा युक्त जल कुम्भ धेनु दान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, दान करते समय निम्न मंत्र करें। देव देव हृषिकेश संसारार्णव तारक:। उदकुम्भ प्रदानेन यास्यामि हरि मंदिरम।