“पॉलीन्यूक्लियर सुपरअल्कलाइज़ फॉर हाइड्रोजन स्टोरेज एंड इट्स मेथड ऑफ प्रिपरेशन” शीर्षक से प्रकाशित हुआ पेटेंट
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव द्वारा विकसित शोध कार्य “Polynuclear Superalkalis for Hydrogen Storage and its Method of Preparation” शीर्षक से भारत सरकार द्वारा पेटेंट के रूप में प्रकाशित किया गया है। यह शोध हाइड्रोजन भंडारण के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है। सुपरअल्कलाइज़ ऐसी यौगिक हैं जिनकी आयनन ऊर्जा अल्कली तत्वों से कम होती है।
शोध में ऐसे पॉलीन्यूक्लियर सुपरअल्कलाइज़ (Polynuclear Superalkalis) यौगिकों का विकास किया गया है जो हाइड्रोजन गैस के सुरक्षित, स्थिर और उच्च दक्षता वाले भंडारण की क्षमता रखते हैं। यह तकनीक ऊर्जा संकट का समाधान प्रस्तुत करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टण्डन महोदया ने डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई देते हुए कहा कि, यह विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।
डॉ. अम्बरीश का यह शोध कार्य न केवल संस्थान की शोध गतिविधियों को नई ऊँचाई प्रदान करेगा, बल्कि राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों में भी योगदान देगा। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में इस तकनीक का वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक उपयोग होगा।”डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, “यह शोध भारत के ऊर्जा स्वतंत्रता मिशन तथा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में सहायक सिद्ध हो सकता है।”
शोध की प्रमुख विशेषताएं:
• उच्च भंडारण क्षमता: परंपरागत तरीकों की तुलना में बेहतर हाइड्रोजन भंडारण।
• सुरक्षा एवं स्थिरता: हाइड्रोजन रिसाव की न्यूनतम संभावना।
• लागत प्रभावी उत्पादन प्रक्रिया: वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपयुक्त।
• ग्रीन एनर्जी में योगदान: हरित ऊर्जा स्रोतों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका।







