
गोरखपुर। भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पण्डित बृजेश पाण्डेय के अनुसार पुराणों मे नवरात्रि चार वर्णित हैं! चैत्र शुक्लपक्ष, आषाढ़ शुक्लपक्ष, आश्विन शुक्लपक्ष तथा माघ शुक्लपक्ष। इसमे से दो आषाढ़ एवं माघ मास गुप्त नवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है। पण्डित बृजेश पाण्डेय ने बताया कि आषाढ़ मास कि नवरात्रि आज 26 जून दिन बृहस्पतिवार से प्रारम्भ हो रहा है तथा समापन 4 जुलाई को होगा। आद्रा नक्षत्र ध्रुव योग,वव करण तथा मिथुन राशि के चंद्रमा एवं मिथुन के सूर्य होगें।
गुप्त नवरात्रि में गुप्तरुप से माँ भगवती की उपासना करने से सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा तंत्र साधना के लिए की जाती है. इस महाविद्याओं की पूजा से असंभव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं. 10 महाविद्याओं में मां काली,मां धूमावती,माता बगलामुखी, मातंगीतारा देवी,त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी और कमला देवी की साधना की जाती है। नौकरी, व्यापार मे लाभ के लिए सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ तथा सद्य: रोग मुक्ति के लिए सभी उपाय लाभकारी होता है।
बगलामुखी श्री शूक्त, दुर्गाकवच, महामृत्युंजय मंत्र का जप तप सभी गुप्तरुप से करने या कराने से सद्यः लाभकारी होता है। इसमे दुर्गा जी के नौ स्वरुपो का ध्यान पूजन अर्चन भक्त अवश्य करें। सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए यम् यम् चिन्तयते कामम् तम् तम् प्राप्नोति निश्चितम् जो कामना करके पूजा पाठ करेगें या विद्वानों से करायेगें सद्यः लाभ मिलता है।