
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस से दुश्मनो को परास्त किया : डिप्टी कमांडेंट कर्नल विशाल दुबे
एमजीयूजी के कैडेट्स ने कारगिल वार मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पण कर योद्धाओं को किया नमन
गोरखपुर। शनिवार को कारगिल विजय दिवस पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर राष्ट्रीय कैडेट कोर के 102 यू पी बटालियन गोरखपुर एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में कारगिल वीर योद्धाओं (शहीदों) को पुष्पांजलि अर्पण कर जयघोष के साथ श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। गोरखा रेजिमेंट डिपो कूड़ाघाट पर ब्रिगेडियर परिमल भारती ने कारगिल योद्धाओं को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि कारगिल विजय दिवस एक ऐसा पर्व है जो हमारे सैनिकों की असाधारण वीरता, बलिदान और समर्पण को श्रद्धांजलि देता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हमारे सैनिक दिन-रात सीमाओं पर डटे रहते हैं। हमें उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी चाहिए और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

कारगिल विजय दिवस भारतीय सैन्य इतिहास का एक गौरवशाली पर्व है, जो हर वर्ष 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक विजय की याद में समर्पित है। यह केवल एक युद्ध की जीत नहीं थी, बल्कि यह भारतीय सैनिकों की बहादुरी, आत्मबलिदान, देशभक्ति और अदम्य साहस का प्रतीक बन गया। यह दिन हमें हमारे वीर जवानों के शौर्य और बलिदान की गाथा सुनाता है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
विश्वविद्यालय में आयोजित कारगिल विजय दिवस पुष्पांजलि में डिप्टी कमांडेंट कर्नल विशाल दुबे ने कारगिल युद्ध के संस्मरण को याद करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध 1999 में पाकिस्तान की सेना और घुसपैठियों ने कारगिल सेक्टर के भारतीय क्षेत्र में गुपचुप तरीके से घुसपैठ कर ऊँची चोटियों पर कब्जा कर लिया। इस घुसपैठ को ‘ऑपरेशन बद्र’ नाम दिया गया था। भारतीय सेना ने इस घुसपैठ का जवाब देने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया। 8 सप्ताह से अधिक समय तक चले इस अभियान में भारतीय सेना ने एक-एक कर सभी कब्जाई गई चोटियों को दुश्मन से मुक्त कराया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने भी ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के अंतर्गत अहम भूमिका निभाई। संकटपूर्ण भौगोलिक स्थिति, कठिन मौसम, बर्फीली ऊँचाइयाँ और दुश्मन की किलेबंदी के बावजूद भारतीय सैनिकों ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। यह एक असामान्य युद्ध था क्योंकि इसमें लड़ाई 16,000 फीट की ऊँचाई पर लड़ी गई थी, जहाँ ऑक्सीजन की कमी और तापमान -10 से -20 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। वीरता की अमर गाथाएँ कारगिल युद्ध में कई ऐसे वीर सपूत हुए जिन्होंने असाधारण साहस दिखाया और देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
अडम आफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल मिथुन मिश्रा ने कारगिल युद्धाओं को पुष्प अर्पण करते हुए कहा कि कारगिल विजय दिवस केवल एक युद्ध विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति, एकता, त्याग और राष्ट्र प्रेम की भावना को जीवित रखने का दिन है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए।
ए.एन.ओ लेफ्टिनेंट डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कारगिल विजय दिवस भारत के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। यह उन्हें यह सिखाता है कि सच्चा देशभक्त वही होता है जो निस्वार्थ होकर राष्ट्र की सेवा करे। यह दिन युवाओं को सेना में जाने, अनुशासन को जीवन में अपनाने और देशहित को सर्वोच्च मानने की प्रेरणा देता है।

आयोजन में कुलपति डॉ सुरिंदर सिंह, कुलसचिव डॉ प्रदीप राव, उपकुलसचिव श्रीकांत, प्रशासनिक अधिष्ठाता डॉ प्रशांत एस .मूर्ति, प्राचार्य डॉ अधिष्ठाता डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ विमल कुमार दुबे, डॉ शशिकांत सिंह, डॉ रोहित श्रीवास्तव, डॉ अखिलेश दुबे दिलीप मिश्रा, पीयूष आनंद, दीपक कुमार, अनिल कुमार, अमित कुमार उपाध्याय, नीरज कुमार जनमेजय सोनी, कैडेट आदित्य सिंह, नीलेश यादव, अभिषेक मिश्रा, अरुण विश्वकर्मा, आलोक दीक्षित, मनीष गुप्ता, अनुभव पाण्डेय, शिखर, पाण्डेय, अमन चौरसिया, आलोक सिंह, प्रीति शर्मा, आंचल पाठक, काजल गौतम, चांदनी निषाद, खुशी यादव, संजना शर्मा, अतीका तिवारी, वसुंधरा सिंह, उजाला सिंह, अर्पिता राय, अनुराधा, गुड़िया कुशवाहा, आदित्य सिंह, अभिषेक चौरसिया, शिवम सिंह सहित शिक्षकगण, विद्यार्थीगण, कर्मचारियों सहित राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों ने देश के वीर योद्धाओं को पुष्पांजलि अर्पण कर अपने भावों से श्रद्धांजलि अर्पण किया।