निरोगी रहने को पारंपरिक खानपान व आयुर्वेद सम्मत जीवनशैली मार्गदर्शक : डॉ. अनुराग

योग व आयुर्वेद जीवनशैली जन्य रोगों के लिए संजीवनी : डॉ. तोमर

गोरखपुर। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) में एक विशिष्ट संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘जीवनशैली जन्य रोगों का प्रबंधन : एक समग्र दृष्टिकोण’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित गुरु गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान दौर में निरोगी रहने के लिए पारंपरिक भारतीय खानपान और आयुर्वेद सम्मत जीवनशैली मार्गदर्शक है। 

डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि आयुर्वेद एक अत्यंत वैज्ञानिक एवं समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने वाला चिकित्सा विज्ञान है। यह आज की जीवनशैली जनित व्याधियों के प्रबंधन में अत्यंत प्रभावी हो सकता है। उन्होंने आधुनिक चिकित्सा के साथ समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए ‘योग-संगम’ की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने इन्टीग्रेटिव विजडम की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आयुर्वेद, एलोपैथी, आयुर्जेनोमिक्स तथा आधुनिक अनुसंधान के समन्वय से ही एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण संभव है। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष डॉ. जीएस तोमर ने कहा कि आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य ये त्रय उपस्तंभ हैं, जिनकी उपेक्षा वर्तमान समय की अधिकांश व्याधियों का मूल कारण है। इस परिस्थिति में आयुर्वेद और योग को अपनाना होगा। योग व आयुर्वेद जीवनशैली जन्य रोगों के लिए संजीवनी है। डॉ. तोमर ने कहा कि किसी भी चिकित्सा पद्धति की आलोचना न करते हुए सभी पद्धतियों को पूरक रूप में अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद कीमोथैरेपी एवं रेडियोथैरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करने में सक्षम है। डॉ. तोमर ने मधुमेह के नियंत्रण में आयुर्वेद, पथ्य एवं जीवनचर्या की भूमिका को भी प्रभावशाली बताया। विशिष्ट अतिथि एमिल फार्मास्युटिकल्स के निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने मधुमेह पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाने लगा है। उन्होंने बीजीआर -34 आयुर्वेदिक औषधि का उल्लेख किया जो ग्लूकोज को नियंत्रित करने में सहायक है और जिसमें 34 औषधीय घटक शामिल हैं। 

स्वागत संबोधन गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम और आभार ज्ञापन क्रिया शरीर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नवोदय राजू  ने किया। संगोष्ठी में शिक्षकों और विद्यार्थियों की सहभागिता रही।

Vikas Gupta

Managing Editor

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