
नये टीबी मरीजों को खोजने में मददगार बन रहे निजी चिकित्सक
निजी अस्पतालों और चिकित्सकों द्वारा खोजे गये प्रत्येक टीबी मरीज का नोटिफिकेशन है अनिवार्य
गोरखपुर। जिले के निजी चिकित्सक और अस्पताल भी नये टीबी मरीजों को खोज कर टीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश के दिशा निर्देशन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा की पहल पर ऐसे 10 निजी चिकित्सकों और अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग से सम्मान मिला है। रेडक्रॉस के सहयोग से सर्वाधिक मरीजों को खोजने वाले ऐसे दस चिकित्सकों और अस्पतालों को बुधवार को जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित किया गया। निजी अस्पतालों और चिकित्सकों द्वारा खोजे गये सभी नये टीबी मरीजों का निक्षय पोर्टल पर नोटिफिकेशन सरकारी प्रावधानों के अनुसार अनिवार्य है।
जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इस कार्य में सरकारी तंत्र के साथ साथ निजी स्वास्थ्य क्षेत्र और समुदाय की भूमिका अहम है। जिले में जिन निजी चिकित्सा इकाइयों और चिकित्सकों ने सर्वाधिक नये टीबी मरीजों को खोज कर उनका इलाज करने के साथ साथ उनकी सूचना भी दी हैं, उन्हें सम्मानित किया गया। ऐसे चिकित्सकों और अस्पतालों का प्रयास अनुकरणीय है। अन्य संस्थानों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश झा ने बताया कि जनवरी 2025 से दिसम्बर दो हजार चौबीस तक सर्वाधिक नोटिफिकेशन करने वाले निजी चिकित्सकों और संस्थानों को सम्मानित किया गया है। सम्मानित होने वालों में डॉ वीएन अग्रवाल, डॉ शरद श्रीवास्तव, डॉ सूरज जायसवाल, डॉ नदीम अर्शद, डॉ नजीमुल्लाह खां, पॉर्क हॉस्पिटल से डॉ ओंकार नाथ राय, लाइफ डॉयग्नोसिस सेंटर से डॉ रीमा गोयल और निजी चिकित्सक डॉ गौरव केडिया तथा गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय एवं आनंदलोक हॉस्पिटल के प्रतिनिधिगण शामिल हैं। डॉ झा ने बताया कि बेहतर कार्य करने वाले निजी चिकित्सकों और अस्पतालों का आगे भी समय समय पर सम्मान किया जाएगा। इस कार्य में रेडक्रॉस प्रमुख सहयोगी है। उन्होंने बताया कि इस मौके पर पूर्व डीटीओ डॉ गणेश यादव को भी सम्मानित किया गया।
सीएमओ डॉ झा ने बताया कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के प्रावधानों के अनुसार नये मरीजों को नोटिफाई करने वाले चिकित्सकों को 500 रुपये उनके खाते में देने का प्रावधान है। जब निजी चिकित्सकों की निगरानी में ऐसे मरीजों का इलाज पूरा हो जाता है तो 500 रुपये और भी चिकित्सक के खाते में दिये जाते हैं। मरीजों को एलोपैथिक चिकित्सक के अलावा आयुष चिकित्सक भी नोटिफाई कर सकते हैं। निजी चिकित्सकों की सहमति से उनके मरीजों को भी महंगी जाचों की सुविधा और निःशुल्क दवाएं दी जाती हैं। नोटिफिकेशन से मरीज को भी फायदा होता है और उसे इलाज चलने तक निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपये की दर से मिलने वाली पोषण धनराशि दे पाना संभव होता है। जब मरीज नोटिफाई हो जाता है तो उसके निकट सम्पर्कियों की भी जांच कर आवश्यकतानुसार टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) भी दी जाती है जिससे संक्रमण की चेन टूटती है।
इस अवसर पर एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, कार्यवाहक जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, रेडक्रॉस के पदाधिकारी और जिला क्षय रोग केंद्र के प्रतिनिधिगण प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।