
- सही समय पर टीकाकरण और सही उम्र में स्क्रिनिंग से होगा सर्वाइकल कैंसर से बचाव
- ई-आरोग्य पाठशाला में सर्वाइकल कैंसर के कारक, पहचान, बचाव और उपचार के बारे में हुई चर्चा
- एम्स गोरखपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शिखा सेठ ने दी अहम जानकारियां
गोरखपुर। सीएमओ डॉ राजेश झा की पहल पर जिले में प्रत्येक मंगलवार को चलने वाली ई आरोग्य पाठशाला में एम्स गोरखपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शिखा सेठ ने इस मंगलवार को सर्वाइकल कैंसर को लेकर अहम जानकारियां दीं। वर्चुअल माध्यम से चले सत्र में एम्स दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल डिसिप्लीन के पूर्व विभागाध्यक्ष और गोरखनाथ विश्वविद्यालय के श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रधानाचार्य डॉ अनुराग श्रीवास्तव भी जुड़े। इस दौरान सर्वाइकल कैंसर के कारक, पहचान, बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। ई आरोग्य पाठशाला से जिले के सभी सीएचओ के अलावा विभिन्न चिकित्सा इकाइयों से भी लोग जुड़े।
पाठशाला के दौरान एम्स गोरखपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शिखा सेठ ने कहा कि नौ से चौदह वर्ष के आयु वर्ग में बच्चियों का टीकाकरण सर्वाइकल कैंसर से बचाव का सबसे उपयुक्त उपाय है। साथ ही जब महिलाएं तीस वर्ष की आयु पूरी कर लें तो उन्हें इसके लिए नियमित स्क्रीनिंग भी करानी चाहिए। जिन बच्चियों को टीकाकरण होता है उनके लिए भी स्क्रिनिंग अनिवार्य है। अगर सर्वाइकल कैंसर की पहचान सही समय से हो जाए तो इसका उपचार आसान होता है लेकिन ज्यादा देरी होने पर जटिलताएं बढ़ जाती हैं। यह कैंसर हम्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। इस वायरस के सभी वैरिएंट कैंसर का कारक नहीं होते हैं। अगर किसी के शरीर में वायरस की उपस्थिति पाई जाती है तो इसका आशय यह नहीं है कि उसे कैंसर हो ही, लेकिन ऐसी महिलाओं की स्क्रिनिंग और निगरानी बढ़ा दी जानी चाहिए।
डॉ शिखा सेठ ने सर्वाइकल कैंसर के स्क्रीनिंग के तरीके भी बताए। कैंसर के लक्षणों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें योनि से असामान्य रक्तस्राव, संभोग के बाद रक्तस्राव, मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव या भारी मासिक धर्म प्रमुख तौर पर शामिल हैं। इनके अलावा, योनि से दुर्गंधयुक्त स्राव, पेल्विक में दर्द, पीठ दर्द, पैरों में सूजन और मूत्र त्याग करने में कठिनाई भी प्रमुख लक्षण हैं। यह लक्षण दिखने पर अविलंब चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। शुरूआती दौर में पहचान हो जाने पर इसका पूर्ण उपचार संभव है। डॉ सेठ ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर का कारक एचपीवी वायरस यौन संचरित है। धूम्रपान, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और कुछ अन्य यौन संचारित संक्रमण इसके प्रमुख कारकों में शामिल हैं।

अपने पूरे स्टॉफ के साथ वर्चुअल पाठशाला से जुड़ीं शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू कुमारी ने बताया कि कार्यशाला के जरिये बताया गया कि हाईरिस्क एचपीवी ही सर्वाइकल कैंसर का कारक बनते हैं। तीस वर्ष से अधिक आयु की महिला को नियमित अंतराल पर स्क्रिनिंग करवानी चाहिए। साथ ही नौ से चौदह वर्ष की उम्र में बचाव का टीका जरूर लगवाना चाहिए। अगर इस उम्र में टीकाकरण नहीं हो पाया हो तो बीस से छब्बीस वर्ष के आयु वर्ग में भी टीका लगाया जा सकता है। अभी यह टीके निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।
इस दौरान दो प्रमुख केस स्टडीज पर भी चर्चा हुई। एम्स दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जिकल डिसिप्लीन के पूर्व विभागाध्यक्ष और गोरखनाथ विश्वविद्यालय के श्री गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रधानाचार्य डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने सर्वाइकल कैंसर जांच के उपायों पर अतिरिक्त क्षमता संवर्धन का सुझाव दिया।
आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर होगी स्क्रीनिंग
सीएमओ डॉ राजेश झा ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ओरल कैंसर को लेकर स्क्रीनिंग और आगामी उपचार के दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। ई आरोग्य पाठशाला के माध्यम से होने वाले क्षमता संवर्धन से सीएचओ, आयुष्मान आरोग्य मंदिर के स्तर पर ही कैंसर की स्क्रिनिंग कर सकेंगे। आगामी उपचार के लिए एम्स गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अन्य उच्च चिकित्सा संस्थानों के साथ समन्वित रणनीति पर काम हो रहा है।